खुले आसमान को मुट्ठी में भर लूं
थोड़ा बादलों से गुफ्तगू कर लूं
कभी हाथी,कभी घोड़ा तो कभी
परियों जैसे नये नये रुप धर लूं
तो कभी काला बादल बन मैं धरती पर बरस लूं
चल जिंदगी तुझे फिर से मैं जी लूं
कभी बन चिड़िया आसमान की सैर ही कर लूं
तो कभी पेड़ों की ऊंची टहनी
पर बैठ दुनियां का नजारा देख लूं
चल जिंदगी तुझे फिर से मैं जी लूं
दोनों बांहों में अपने हिस्से की खुशियां भर लूं
गम को अपने कदमों के निशान मैं कर लूं
चल जिंदगी तुझे फिर से मैं जी लूं
©Garima Srivastava
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