White मनहरण घनाक्षरी :- साथ-साथ चले हम , रहे नही क | हिंदी कविता

"White मनहरण घनाक्षरी :- साथ-साथ चले हम , रहे नही कोई गम , बीती सारी बातें अब , तुम भी बिसारिये । चाँद सी है महबूबा , सब देख-देख डूबा , आप भी एक नज़र , इधर निहारिये । बात कहूँ लाख टका , जब-जब तुम्हें तका , दिल कहे एक बार , आप भी पुकारिये । रूप है सलोना यह, दिल न खिलौना यह, बात मेरी मानकर , प्रीत से सँवारिये । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 White मनहरण घनाक्षरी :- साथ-साथ चले हम , रहे नही कोई गम ,
बीती सारी बातें अब , तुम भी बिसारिये ।
चाँद सी है महबूबा , सब देख-देख डूबा ,
आप भी एक नज़र , इधर निहारिये ।
बात कहूँ लाख टका , जब-जब तुम्हें तका ,
दिल कहे एक बार , आप भी पुकारिये ।
रूप है सलोना यह, दिल न खिलौना यह,
बात मेरी मानकर , प्रीत से सँवारिये ।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

White मनहरण घनाक्षरी :- साथ-साथ चले हम , रहे नही कोई गम , बीती सारी बातें अब , तुम भी बिसारिये । चाँद सी है महबूबा , सब देख-देख डूबा , आप भी एक नज़र , इधर निहारिये । बात कहूँ लाख टका , जब-जब तुम्हें तका , दिल कहे एक बार , आप भी पुकारिये । रूप है सलोना यह, दिल न खिलौना यह, बात मेरी मानकर , प्रीत से सँवारिये । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- साथ-साथ चले हम , रहे नही कोई गम ,
बीती सारी बातें अब , तुम भी बिसारिये ।
चाँद सी है महबूबा , सब देख-देख डूबा ,
आप भी एक नज़र , इधर निहारिये ।
बात कहूँ लाख टका , जब-जब तुम्हें तका ,
दिल कहे एक बार , आप भी पुकारिये ।
रूप है सलोना यह, दिल न खिलौना यह,
बात मेरी मानकर , प्रीत से सँवारिये ।

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