कैसा मौसम हो गया, बदले हर पल रूप ।
कभी अंधेरा छा रहा ,कभी चमकती धूप ।।
कभी चमकती धूप, कभी तो बूंदा बांदी ।
कभी झमाझम नीर, साथ में आती आंधी ।
कह अभिनव कविराय, जमाना आया ऐसा ।
बदले कब, क्या, कौन ,अचंभा इसमें कैसा ।।
©kavi Purushottam das
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