पागल समझते हैं लोग मुझ पर हसते हैं लोग | हिंदी Poetry

""पागल समझते हैं लोग मुझ पर हसते हैं लोग लोगों को मैं अच्छी नहीं लगती, फिर भी मुझे अच्छे लगते हैं लोग मैं फूल लिए फिर रही हूँ, और खंजर रखते हैं लोग ll मैं जुबां पर सच रखती हूँ‌, झूठ जेब में रखते हैं लोग ll मेरी खामोशी दोषी हो गई है, मुझ पर ताने कसते हैं लोग Preeti uikye 750 04/03/24 ©Gondwana Sherni 750"

 "पागल समझते हैं लोग 
  मुझ पर हसते हैं लोग 
    
 लोगों को मैं अच्छी नहीं लगती, 
 फिर भी मुझे अच्छे लगते हैं लोग 

 मैं फूल लिए फिर रही हूँ, 
 और खंजर रखते हैं लोग ll

 मैं जुबां पर सच रखती हूँ‌, 
 झूठ जेब में रखते हैं लोग ll

 मेरी खामोशी दोषी हो गई है, 
 मुझ पर ताने कसते हैं लोग

Preeti uikye 750
04/03/24

©Gondwana Sherni 750

"पागल समझते हैं लोग मुझ पर हसते हैं लोग लोगों को मैं अच्छी नहीं लगती, फिर भी मुझे अच्छे लगते हैं लोग मैं फूल लिए फिर रही हूँ, और खंजर रखते हैं लोग ll मैं जुबां पर सच रखती हूँ‌, झूठ जेब में रखते हैं लोग ll मेरी खामोशी दोषी हो गई है, मुझ पर ताने कसते हैं लोग Preeti uikye 750 04/03/24 ©Gondwana Sherni 750

पागल समझते हैं लोग

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