आंखों में अश्क छुपाना पड़ता है. ग़म में भी मुस्कु | हिंदी शायरी

"आंखों में अश्क छुपाना पड़ता है. ग़म में भी मुस्कुराना पड़ता है. घर परिवार अपने याद आते हैं मजबूरी में परदेश जाना पड़ता है.. By Ubaid Mirza Dil Ki Awaz DKA ©Dil Ki Awaz DKA"

 आंखों में अश्क छुपाना पड़ता है. 
ग़म में भी मुस्कुराना पड़ता है.
घर परिवार अपने याद आते हैं
मजबूरी में परदेश जाना पड़ता है..

By
Ubaid Mirza
Dil Ki Awaz DKA

©Dil Ki Awaz DKA

आंखों में अश्क छुपाना पड़ता है. ग़म में भी मुस्कुराना पड़ता है. घर परिवार अपने याद आते हैं मजबूरी में परदेश जाना पड़ता है.. By Ubaid Mirza Dil Ki Awaz DKA ©Dil Ki Awaz DKA

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