122 122 122 12 दुआएं लगे मां की एसे तुझे छु | हिंदी कविता

"122 122 122 12 दुआएं लगे मां की एसे तुझे छुपाती रहे हर बला से तुझे क़दम भर चले तू जहाँ पे कहीं रुकी सांसें अटकी बतायें तुझे वो ममता की मूरत है तेरे लिए इबादत वो जन्नत है तेरे लिए छुपाती है आंचल मैं कैसे तुझे लेखक - ज़ुबैर खान......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN"

 122 122 122 12
 दुआएं  लगे मां   की  एसे  तुझे
 छुपाती   रहे   हर  बला से तुझे

 क़दम भर चले तू जहाँ पे कहीं
 रुकी  सांसें अटकी  बतायें तुझे

 वो ममता की मूरत है तेरे लिए
 इबादत  वो जन्नत  है  तेरे लिए
 छुपाती  है आंचल मैं कैसे तुझे

लेखक - ज़ुबैर खान......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

122 122 122 12 दुआएं लगे मां की एसे तुझे छुपाती रहे हर बला से तुझे क़दम भर चले तू जहाँ पे कहीं रुकी सांसें अटकी बतायें तुझे वो ममता की मूरत है तेरे लिए इबादत वो जन्नत है तेरे लिए छुपाती है आंचल मैं कैसे तुझे लेखक - ज़ुबैर खान......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

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