पीठ पे खाएं है खंजर अनेक मालूम नहीं किसकी करतूत ह | हिंदी Shayari

"पीठ पे खाएं है खंजर अनेक मालूम नहीं किसकी करतूत है सामने आया नहीं कोई पर पीठ पर वार अटूट हैं वक्त का फैसला और भाग्य का पुनःउद्भव जब होगा... किस्मत की मिटी लकीरें खिंचेगी वो अपना दौर- ए- रुत होगा। ✍️ राहुल रो "नीर "✍️ ©sayar rahul saini"

 पीठ पे खाएं है खंजर अनेक
 मालूम नहीं किसकी करतूत है
सामने आया नहीं कोई
 पर पीठ पर वार अटूट हैं
वक्त का फैसला और
 भाग्य का पुनःउद्भव जब होगा...
किस्मत की मिटी लकीरें खिंचेगी 
वो अपना दौर- ए- रुत होगा।

✍️ राहुल रो "नीर "✍️

©sayar rahul saini

पीठ पे खाएं है खंजर अनेक मालूम नहीं किसकी करतूत है सामने आया नहीं कोई पर पीठ पर वार अटूट हैं वक्त का फैसला और भाग्य का पुनःउद्भव जब होगा... किस्मत की मिटी लकीरें खिंचेगी वो अपना दौर- ए- रुत होगा। ✍️ राहुल रो "नीर "✍️ ©sayar rahul saini

खंजर

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