जो अपने दिल में उगी एक बेल थी, उसकी सभी शाखें नोंच | हिंदी Video

"जो अपने दिल में उगी एक बेल थी, उसकी सभी शाखें नोंच आए हैं । उसे सींचनें को आतुर वो सारे के सारे हम अपने आंसू पोंछ आए हैं कोई जिक्र करे हमारा तो जरा सा उस पर यकीन‌‌ न करना, तुम हमेशा खुश रहना हम तुम्हारे शहर से लौट आए हैं । हमनैं‌ अब ये भुलाने की कोशिश करनी है कि तेरी शहर की हर एक गली अजनबी है जहां हमनें साथ साथ चल कर दुनिया के आखिरी छोर तक चलना था ये बात और है हम दोनों को बस यहीं इसी जगह तक ही साथ चलना था चलो अपने साथ का भरम जल्दी टूट गया तो अच्छा हुआ तुम्हें भी हमसे कोई बेहतर मिल गया तो अच्छा हुआ । पर कभी दिल उदास हो तो मेरी ये नज्म़ पढ़ना शायद हर्फों में तुम तब भी दिखो खुद को देखना देखना कहीं उस दौर की बातें अब सामने तो नहीं आ रही पर दिल को यकीन दिलाए रखना तुम्हें मेरी अब याद नहीं आ रही याद रखना तुम किसी की हो चुकी हो मेरी ख्वाब सी दुनिया से खुद जा चुकी हो जा चुकी हो ऐसी जगह जहां सिसकियां क्या मेरी सदाएं भी नहीं पहुंचनी है जा चुकी हो ऐसी जगह जहां मुझको अब तेरी दुआएं भी नहीं मिलनी हैं । पर ये याद रखना तुम मेरी सांसों में अब भी हो कल भी शामिल रहोगे हाथ अगर दुआओं के लिए उठेंगे तो पहला हक तुम्हारा होगा उसके बाद जो कुछ बचेगा वही सिर्फ हमारा होगा मैं जा रहा हूं अब तेरी यादों के संग मेरा गुजारा होगा ।                  पं. अम्बिका मिश्र प्रखर ©अम्बिका मिश्र प्रखर"

जो अपने दिल में उगी एक बेल थी, उसकी सभी शाखें नोंच आए हैं । उसे सींचनें को आतुर वो सारे के सारे हम अपने आंसू पोंछ आए हैं कोई जिक्र करे हमारा तो जरा सा उस पर यकीन‌‌ न करना, तुम हमेशा खुश रहना हम तुम्हारे शहर से लौट आए हैं । हमनैं‌ अब ये भुलाने की कोशिश करनी है कि तेरी शहर की हर एक गली अजनबी है जहां हमनें साथ साथ चल कर दुनिया के आखिरी छोर तक चलना था ये बात और है हम दोनों को बस यहीं इसी जगह तक ही साथ चलना था चलो अपने साथ का भरम जल्दी टूट गया तो अच्छा हुआ तुम्हें भी हमसे कोई बेहतर मिल गया तो अच्छा हुआ । पर कभी दिल उदास हो तो मेरी ये नज्म़ पढ़ना शायद हर्फों में तुम तब भी दिखो खुद को देखना देखना कहीं उस दौर की बातें अब सामने तो नहीं आ रही पर दिल को यकीन दिलाए रखना तुम्हें मेरी अब याद नहीं आ रही याद रखना तुम किसी की हो चुकी हो मेरी ख्वाब सी दुनिया से खुद जा चुकी हो जा चुकी हो ऐसी जगह जहां सिसकियां क्या मेरी सदाएं भी नहीं पहुंचनी है जा चुकी हो ऐसी जगह जहां मुझको अब तेरी दुआएं भी नहीं मिलनी हैं । पर ये याद रखना तुम मेरी सांसों में अब भी हो कल भी शामिल रहोगे हाथ अगर दुआओं के लिए उठेंगे तो पहला हक तुम्हारा होगा उसके बाद जो कुछ बचेगा वही सिर्फ हमारा होगा मैं जा रहा हूं अब तेरी यादों के संग मेरा गुजारा होगा ।                  पं. अम्बिका मिश्र प्रखर ©अम्बिका मिश्र प्रखर

#HappyRoseDay

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