White उम्मीद जैसी चिड़िया होती नहीं जहाँ में
उम्मीद रखना सबसे ख़ुद से है बेईमानी..
कोई नहीं किसी का ठोकर लगे तो जाने
मतलब का हाट है ये मतलब की हर रवानी..
मंजिल की फ़िक्र है तो ख़ुद को बुलंद कर ले
बिन मोल तो जहाँ में मिलता नहीं है पानी..
फिर ख़ाक से उठे हैं फिर ख़ाक में मिलेंगे
ये गुलबदन जलेगा तब क्या रहे निशानी..
कुछ भी नहीं है अपना ये फलसफ़ा पुराना
थोड़ी सी कश्मोकश है फिर खत्म है कहानी..
©अज्ञात
#कहानी