जब मैं शहर को जाता था तू कितना कुछ कर देती थी
मेरे बैग में चुपके से लड्डू पेड़े भर देती थी
मुझे छोड़ने दूर गांव के टीले तक आया करती
रोते-रोते नम आंखों से वापस घर जाया करती
उस टीले पर अब तुझ सा कोई दीदार नहीं करता
मां तेरे जैसा अब मुझको कोई प्यार नहीं करता
©Priya Chaturvedi
#poem