"रोज उठकर सुबह आईने से टकरा जाता हूँ !
ढक दूँ आईना तो दीवालो से टकरा जाता हूँ !!
निकलता हूँ रोज खुद को तलाशने तेरे शहर में,
रोज खुद को भूलकर तेरी भीड़ में खो जाता हूँ !!"
रोज उठकर सुबह आईने से टकरा जाता हूँ !
ढक दूँ आईना तो दीवालो से टकरा जाता हूँ !!
निकलता हूँ रोज खुद को तलाशने तेरे शहर में,
रोज खुद को भूलकर तेरी भीड़ में खो जाता हूँ !!