ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी, काँटों का पता ही न चला। ज़ | हिंदी शायरी

"ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी, काँटों का पता ही न चला। ज़िन्दगी तो काँटों से ही थी, ग़ुलाब सूखे तो पता चला।।"

 ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी,
काँटों का पता ही न चला।
ज़िन्दगी तो काँटों से ही थी,
ग़ुलाब सूखे तो पता चला।।

ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी, काँटों का पता ही न चला। ज़िन्दगी तो काँटों से ही थी, ग़ुलाब सूखे तो पता चला।।

ज़िन्दगी जब तलक ग़ुलाब थी,
काँटों का पता ही न चला।
ज़िन्दगी तो काँटों से ही थी,
ग़ुलाब सूखे तो पता चला।।

#HappyRose

People who shared love close

More like this

Trending Topic