पहली किरण से हौसला उठता, संध्या पर थम जाता है नई र | हिंदी Poetry Vide

"पहली किरण से हौसला उठता, संध्या पर थम जाता है नई राह मिली नही , रूकावट का काफिला संग आता है मै अपने सपनो को वक्त दू भी तो कैसे?, परिवार की जिम्मेदारियां भी तो हैं ओर ख्वाब तो आसमान छूने के है , अभी छत से टपकता पानी भी तो है बहुत आसान है सफलता पर संघर्ष की कहानी मुश्किल केवल संघर्ष को कहना संघर्ष की जुबानी ।। ©Meri Kalam "

पहली किरण से हौसला उठता, संध्या पर थम जाता है नई राह मिली नही , रूकावट का काफिला संग आता है मै अपने सपनो को वक्त दू भी तो कैसे?, परिवार की जिम्मेदारियां भी तो हैं ओर ख्वाब तो आसमान छूने के है , अभी छत से टपकता पानी भी तो है बहुत आसान है सफलता पर संघर्ष की कहानी मुश्किल केवल संघर्ष को कहना संघर्ष की जुबानी ।। ©Meri Kalam

#संघर्ष_ए_जिंदगी

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