यूं ही दिल किसी पे ऐतबार कर ले, इतना नादान नही होत

"यूं ही दिल किसी पे ऐतबार कर ले, इतना नादान नही होता, मुहब्बत रूह से होती है उसका कोई धर्म कोई खानदान नही होता, और जरा सी मुश्किलात पड़े तो समझ आ जाती है शिद्दत चाहने वालों की, खुद को बिगाड़ के भी किसी को सवांर दे , बेवजह कोई इतना महान नही होता, बस चल पड़ता है राह ए इश्क़ में एक शख्स के भरोसे, सफर कितना है मुश्किल इससे कोई अनजान नही होता, छूट जाए साथ जो उसका तो जीते जी भी जिंदा नही रहता फिर, हर मरी हुई सख्सियत का घर शमशान नही होता, किसी को पाना ही इश्क़ का मुकम्मल होना है, बस ये भरम निकाल देता जो हर आशिक़, तो आज किसी का परिवार यूं बदनाम नही होता, जो वक़्त पर थाम लेती मुहब्बत डोर जिंदगी की, मैं इतना बेकाबू इतना बेलगाम नही होता, अब के जो मिलेंगे उनसे तो बताएंगे उन्हें के क्या करिश्मा है उनके इश्क़ का, जो न होते मेरी जिंदगी में तुम तो मैं ऐसा इंसान नही होता !! - Sandeep(Rudr@nsh....)Tiwari"

 यूं ही दिल किसी पे ऐतबार कर ले, इतना नादान नही होता,
मुहब्बत रूह से होती है उसका कोई धर्म कोई खानदान नही होता,
और जरा सी मुश्किलात पड़े तो समझ आ जाती है शिद्दत चाहने वालों की,
खुद को बिगाड़ के भी किसी को सवांर दे ,
बेवजह कोई इतना महान नही होता,
बस चल पड़ता है राह ए इश्क़ में एक शख्स के भरोसे,
सफर कितना है मुश्किल इससे कोई अनजान नही होता,
छूट जाए साथ जो उसका तो जीते जी भी जिंदा नही रहता फिर,
हर मरी हुई सख्सियत का घर शमशान नही होता,
किसी को पाना ही इश्क़ का मुकम्मल होना है,
बस ये भरम निकाल देता जो हर आशिक़,
तो आज किसी का परिवार यूं बदनाम नही होता,
जो वक़्त पर थाम लेती मुहब्बत डोर जिंदगी की,
मैं इतना बेकाबू इतना बेलगाम नही होता,
अब के जो मिलेंगे उनसे तो बताएंगे उन्हें के क्या करिश्मा है उनके इश्क़ का,
जो न होते मेरी जिंदगी में तुम तो मैं ऐसा इंसान नही होता !!

                       - Sandeep(Rudr@nsh....)Tiwari

यूं ही दिल किसी पे ऐतबार कर ले, इतना नादान नही होता, मुहब्बत रूह से होती है उसका कोई धर्म कोई खानदान नही होता, और जरा सी मुश्किलात पड़े तो समझ आ जाती है शिद्दत चाहने वालों की, खुद को बिगाड़ के भी किसी को सवांर दे , बेवजह कोई इतना महान नही होता, बस चल पड़ता है राह ए इश्क़ में एक शख्स के भरोसे, सफर कितना है मुश्किल इससे कोई अनजान नही होता, छूट जाए साथ जो उसका तो जीते जी भी जिंदा नही रहता फिर, हर मरी हुई सख्सियत का घर शमशान नही होता, किसी को पाना ही इश्क़ का मुकम्मल होना है, बस ये भरम निकाल देता जो हर आशिक़, तो आज किसी का परिवार यूं बदनाम नही होता, जो वक़्त पर थाम लेती मुहब्बत डोर जिंदगी की, मैं इतना बेकाबू इतना बेलगाम नही होता, अब के जो मिलेंगे उनसे तो बताएंगे उन्हें के क्या करिश्मा है उनके इश्क़ का, जो न होते मेरी जिंदगी में तुम तो मैं ऐसा इंसान नही होता !! - Sandeep(Rudr@nsh....)Tiwari

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