अब संभलकर चलना सीख लिया मैने। हकीकत से रूबरू भी हो | हिंदी शायरी

"अब संभलकर चलना सीख लिया मैने। हकीकत से रूबरू भी हो पाया।। मैं कहूं भी तो क्या कहूं खुद को, जो सच जानने में इतना वक्त लगाया।। मैने जिन रास्तों को चुना था चलने के लिए, वही मुझे गलत दिशाओ में ले गए थे। मैं कहूं तो क्या कहूं, मैं गलती करके ही सीख पाया।। creative _Dwivedi ©dwivedi"

 अब संभलकर चलना सीख लिया मैने।
हकीकत से रूबरू भी हो पाया।।
मैं कहूं भी तो क्या कहूं खुद को,
जो सच जानने में इतना वक्त लगाया।।
मैने जिन रास्तों को चुना था चलने के लिए,
वही मुझे गलत दिशाओ में ले गए थे।
मैं कहूं तो क्या कहूं,
मैं गलती करके ही सीख पाया।।
creative _Dwivedi

©dwivedi

अब संभलकर चलना सीख लिया मैने। हकीकत से रूबरू भी हो पाया।। मैं कहूं भी तो क्या कहूं खुद को, जो सच जानने में इतना वक्त लगाया।। मैने जिन रास्तों को चुना था चलने के लिए, वही मुझे गलत दिशाओ में ले गए थे। मैं कहूं तो क्या कहूं, मैं गलती करके ही सीख पाया।। creative _Dwivedi ©dwivedi

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