ना बची जीने की चाहत, तो मौत का समान ढूँढता है
क्या हुआ है दिल को, की कफ़न की दुकान ढूँढता है
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समझाती हूँ बहुत की जी ले आज के युग में भी थोड़ा
मगर वो है की बस, अपने अतीत के निशान ढूँढता है
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मैं अब कहा से लाऊँ सच्चा प्यार, वो अटूट रिश्ते
बस दिल है कि हर शक्स मे महोब्बत और ईमान ढूँढता है
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पागल है रुचि ना समझी आज के प्यार की हकीकत
दूर जाने के लिए हर कोई झूठे इल्ज़ाम ढूँढता है
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©Noori
#Sawera