एक दिन ख़्वाब की चादर बिछाकर लेट जाऊंगा , सर तले हो | हिंदी Poetry Vide

"एक दिन ख़्वाब की चादर बिछाकर लेट जाऊंगा , सर तले होगा सपनों का तकिया , सांस की डोर होगी इच्छाएं मेरी , जो अनन्त काल तक बढ़ती ही रहेंगी , न मै मरूंगा , न मेरे ख़्वाब , न मेरे सपने , चीर निद्रा होगी बस ,एक गहरी शांति जहाँ ब्रह्मांड की हर वस्तु ऐसे खो जाएगी जैसे सूरज के ढलते ही दिन खो जाता है रात्रि की गोद में , मैं सदा सर्वदा के लिए विलीन हो जाऊंगा अनन्त ब्रह्मांड में , हर आत्मा में हर सजीव निर्जीव में कण कण में मेरी इच्छाएं इतनी बढ़ेंगी की मैं एक दिन ईश्वर हो जाऊंगा , वही ईश्वर जिसे तुमने कभी नही देखा। विनोद दुबे || स्याही || ©VINOD DUBEY◆SYAHII◆◆سیاہی◆ "

एक दिन ख़्वाब की चादर बिछाकर लेट जाऊंगा , सर तले होगा सपनों का तकिया , सांस की डोर होगी इच्छाएं मेरी , जो अनन्त काल तक बढ़ती ही रहेंगी , न मै मरूंगा , न मेरे ख़्वाब , न मेरे सपने , चीर निद्रा होगी बस ,एक गहरी शांति जहाँ ब्रह्मांड की हर वस्तु ऐसे खो जाएगी जैसे सूरज के ढलते ही दिन खो जाता है रात्रि की गोद में , मैं सदा सर्वदा के लिए विलीन हो जाऊंगा अनन्त ब्रह्मांड में , हर आत्मा में हर सजीव निर्जीव में कण कण में मेरी इच्छाएं इतनी बढ़ेंगी की मैं एक दिन ईश्वर हो जाऊंगा , वही ईश्वर जिसे तुमने कभी नही देखा। विनोद दुबे || स्याही || ©VINOD DUBEY◆SYAHII◆◆سیاہی◆

#Raftaar @MM Mumtaz Saad Ahmad ( سعد احمد ) @Bobby(Broken heart) कवि संतोष बड़कुर दुर्लभ "दर्शन" #Nojoto #Hindi

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