कैसे मुमकिन था किसी दाक्तर से इलाज करना अरे दोस्त | हिंदी शायरी

"कैसे मुमकिन था किसी दाक्तर से इलाज करना अरे दोस्त…. इश्क का रोग था… मम्मी के चप्पल से ही आराम आया…. ©Salim Saha"

 कैसे मुमकिन था किसी दाक्तर से इलाज करना

अरे दोस्त…. इश्क का रोग था…

मम्मी के चप्पल से ही आराम आया….

©Salim Saha

कैसे मुमकिन था किसी दाक्तर से इलाज करना अरे दोस्त…. इश्क का रोग था… मम्मी के चप्पल से ही आराम आया…. ©Salim Saha

#ishq ka Rog tha mummy ke chappal se hi aaram hai

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