पल्लव की डायरी
ओढे जिसने अम्बर के वस्त्र
नग्न दिगम्बर धारी था
संयम के उपकरण धार लिये
पथ उसका वीतरागी था
चेतनता को जिसने जीवित रखा
आत्म स्वाद पाया था
भोगवाद की व्यथा से दूर
आत्मबल की पराकाष्ठा को पाया था
विद्या सागर ने इस कलिकाल में महावीर बन
जन्म मरण से मुक्ति पाने
संथारा समाधिस्त होकर
कालिमा आत्मा से हटाया था
भव भव से अब मुक्ति होगी
बोध सिद्धत का पाओगे
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#Likho विद्या सागर जी महाराज के समाधी और संथारा पर विशेष
#nojotohindi