क्या कहेगा बस यही ना तुम कहीं हो हम कहीं हैं जानक | हिंदी शायरी

"क्या कहेगा बस यही ना तुम कहीं हो हम कहीं हैं जानकर अच्छा लगा,, अलग होकर साथ होता यह सफ़र अच्छा लगा//1 वादियों पर हैं यहां तफ़रीह को यूं ही हवा,, यह खुलेआम आज़ इनका भी सफ़र अच्छा लगा//2 दाखिला इनका हमारी तरह से हर जगह को,, बहना इनका दरिया बनकर सांसों पर अच्छा लगा//3 जिंदगी को वज़ह मिलतीं सांसों के चलते मगर,, रुक के दम भरना हवा पर मुख़्तसर अच्छा लगा//4 ©Shree Shayar"

 क्या कहेगा
बस यही ना

तुम कहीं हो हम कहीं हैं जानकर अच्छा लगा,,

अलग होकर साथ होता यह सफ़र अच्छा लगा//1

वादियों पर हैं यहां तफ़रीह को यूं ही हवा,,

यह खुलेआम आज़ इनका भी सफ़र अच्छा लगा//2

दाखिला इनका हमारी तरह से हर जगह को,,

बहना इनका दरिया बनकर सांसों पर अच्छा लगा//3

जिंदगी को वज़ह मिलतीं सांसों के चलते मगर,,

रुक के दम भरना हवा पर मुख़्तसर अच्छा लगा//4

©Shree Shayar

क्या कहेगा बस यही ना तुम कहीं हो हम कहीं हैं जानकर अच्छा लगा,, अलग होकर साथ होता यह सफ़र अच्छा लगा//1 वादियों पर हैं यहां तफ़रीह को यूं ही हवा,, यह खुलेआम आज़ इनका भी सफ़र अच्छा लगा//2 दाखिला इनका हमारी तरह से हर जगह को,, बहना इनका दरिया बनकर सांसों पर अच्छा लगा//3 जिंदगी को वज़ह मिलतीं सांसों के चलते मगर,, रुक के दम भरना हवा पर मुख़्तसर अच्छा लगा//4 ©Shree Shayar

श्री

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