White चल उठ ख़िज़ा हवा के परों पर हो कर सवार तुझे जाना है,
रुकना मना है ,थकना मना है,
कर सामना हर बाधा का,
मज़िल को तुझे पाना है।
सिक्के का वो पहलू जिस में,
उदासी है, ग़म है, मजबूरी है,
उस पहलू के पार जाना है,
घास उस पार हरी है तो क्या,
जो मैदान दिया है मुझे ज़िंदगी ने,
उसे हरा भरा बनाना है।
माली हूँ मैं अपने उपवन की,
जो बीजूंँगी वही तो पाऊंँगी,
देर नहीं हुई है कुछ भी अभी,
महेकता हुआ बागी़चा सजाना है।
जो मन को ना भाये उस पर समझौता नहीं करूंगी अब,
मर मर कर अब नहीं जिउंँगी अब,
थोड़ा थोड़ा कर के,
संसार ख़ुशियों का बसाना है।
लोग कहते हैं अब वक्त बीत गया,
जवानी का दौर गुज़र गया
जोश का वो मनमीत गया।
मैं कहती हूँ कि कोशिश का दामन नहीं छूटा,
थाम हौसलों का दामन,
आगे बढ़ते जाना है,
जब तक धमनियों में रक्त बहेगा,
कोशिश करते जाना है।
© Haniya kaur
©Haniya Kaur khiza
#Motivational Koshish:Ek prayaas