जख्म थे दिल के फिर से हरे हो गए, भरते नहीं वो जख्म | हिंदी कविता Video

"जख्म थे दिल के फिर से हरे हो गए, भरते नहीं वो जख्म जो अपनों से मिले हैं लाख कोशिशों के बावजूद भी भूले नहीं वो लम्हें, जब कोई अपना ही दर्द देकर गैर हो गए। ©nita kumari "

जख्म थे दिल के फिर से हरे हो गए, भरते नहीं वो जख्म जो अपनों से मिले हैं लाख कोशिशों के बावजूद भी भूले नहीं वो लम्हें, जब कोई अपना ही दर्द देकर गैर हो गए। ©nita kumari

#LongRoad
#२१/२/२४

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