White वो बच्चे जो निकले थे कभी कमाने के लिए
फिर लौटे ही नहीं वापिस घर आने के लिए ll
मन में इक ख़लिश दबाये लौटे जो कभी उस गली..
वो आए तो बस अपनी शानो-शौकत दिखाने के लिए ll
वो जाले से लिपटा मकान जो सुन्दर घर हुआ करता
अब वो ही करते हैं बातें उसे बेच जाने के लिए ll
विरान पड़े हैं बाग बगीचे और गुलिस्तान सारे....
कि कोई आता ही नहीं उन्हें फिर से बसाने के लिए ll
अब शौकीन हुए हैं सभी ऊँची ऊँची अट्टालिकाओं के
जर्जर है गाँव का वो घर कौन आए उसे सजाने के लिए ll
मंजू कुशवाहा ✍️🌹💞
©Manju kushwaha
#शहर