गुज़रते हैं आज भी अपने शहर की गली – गली, कूचे – कू | हिंदी

"गुज़रते हैं आज भी अपने शहर की गली – गली, कूचे – कूचे से ख़ुद की तलाश में पहचाना सा कोई चेहरा अब मिलता नहीं तुम जो निकली मेरी जिन्दगी से किसी और से कोई पहचान न रही ©हिमांशु Kulshreshtha "

गुज़रते हैं आज भी अपने शहर की गली – गली, कूचे – कूचे से ख़ुद की तलाश में पहचाना सा कोई चेहरा अब मिलता नहीं तुम जो निकली मेरी जिन्दगी से किसी और से कोई पहचान न रही ©हिमांशु Kulshreshtha

आज भी..

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