निकले नहीं ख़्यालों से तेरे कभी,
दिल से दिल तक का सफ़र जारी है..!
इश्क़ की इबादत तेरी ये आदत,
दुल्हन बनाने की तुझे तैयारी है..!
ठहरी रहीं तेरी यादें कुछ यूँ,
ख़्वाबों को हक़ीक़त करने की बारी है..!
रोग इश्क़ का लगा कर तुमने,
जगाई मोहब्बत की चिंगारी है..!
क़दम से क़दम मिला कर चलना,
सोच रखनी सदा संस्कारी है..!
मेरी तक़दीर में लिखा तुम्हें ख़ुदा ने,
तस्वीर ज़िन्दगी की यूँ सँवारी है..!
जन्मों जन्मों तक मिले साथ तुम्हारा,
अधीन ईश्वर के हम आभारी हैं..!
©SHIVA KANT(Shayar)
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