मत पूछ की शहर में ये तनाव कैसा है तू गांव से आया ह | हिंदी Shayari

"मत पूछ की शहर में ये तनाव कैसा है तू गांव से आया है बता गाँव कैसा है रात निकलती नही थी फूटने के डर से उस तालाब में पानी का भराव कैसा है सुना है पुलिस करती है मसले हल उस चौपाल पर फिर जमाव कैसा है जाती थी सेवइयां लौट आती थी मिठाई पहले था त्यौहारो पर वो लगाव कैसा है वो जो राहगीरों को रास्ता दिखाता था उस पागल पर मरने का दबाव कैसा है ©Suraj Goswami"

 मत पूछ की शहर में ये तनाव कैसा है
तू गांव से आया है बता गाँव कैसा है

रात निकलती नही थी फूटने के डर से
उस तालाब में पानी का भराव कैसा है

सुना है पुलिस करती है मसले हल
उस चौपाल पर फिर जमाव कैसा है

जाती थी सेवइयां लौट आती थी मिठाई
 पहले था त्यौहारो पर वो लगाव कैसा है

वो जो राहगीरों को रास्ता दिखाता था
उस पागल पर मरने का दबाव कैसा है

©Suraj Goswami

मत पूछ की शहर में ये तनाव कैसा है तू गांव से आया है बता गाँव कैसा है रात निकलती नही थी फूटने के डर से उस तालाब में पानी का भराव कैसा है सुना है पुलिस करती है मसले हल उस चौपाल पर फिर जमाव कैसा है जाती थी सेवइयां लौट आती थी मिठाई पहले था त्यौहारो पर वो लगाव कैसा है वो जो राहगीरों को रास्ता दिखाता था उस पागल पर मरने का दबाव कैसा है ©Suraj Goswami

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