शिक्षक साक्ष्य यजमान दिव्य लोक की माया, जग में वि

"शिक्षक साक्ष्य यजमान दिव्य लोक की माया, जग में विद्यमान ये साक्षात ईश काया ज्ञानोदय का मन में उद्दीपन हैं करते ऐसे परम पूज्य गुरुजनों का मेरे काव्य सतत प्रणाम धर्म, निष्ठा, और कर्त्तव्य मान को सर्वोपरि कार्य बताया, यथार्थ ज्ञान शिक्षा उन्होंने दर्शन भी कराया मुझ जैसे ज्ञानहीन को सार्थक शिक्षा का पाठ पढ़ाया, ज्योतिष मती है इनकी अलौकिक काया, ऐसे राह गुरुजनों ने है दिखलाया.. अतुल्य छटा के है ये नायक, सम्पूर्ण यथोचित विकास है कराया, व्यर्थ का पांडित्य है सांसारिक भोग विलास की माया कैसे चुकाऊं उधार आपका, नहीं दुनिया में ऐसी कोई दौलत पा पाया ये नीघंटू शास्त्र कितना भी शब्दों में पिरो दिया जाए, भावनाओं के उर कर खोल दिया जाए मगर आपके निर्बाध प्रेम का, कद्र ए एहसान कभी बयां ना कर पाए तजस्सुस आभार का हम उन्मदिष्णु मन से पेश करते हैं, अल्पज्ञ ही सही, नमाबार शीश नतमस्तक करते हैं आपकी अनुकम्पा से हर्षतीरेक रहे हम, कामना हृदय के प्रगाढ़ भाव से करते हैं कैसे कहे शुक्रिया निः शब्द हैं, बस कहूंगी यही ये सिरजना इतनी काबिल नहीं, जो आपके अमोलक आदर्श को दर्शा पाए..❤️❤️"

 शिक्षक

साक्ष्य यजमान दिव्य लोक की माया,
जग में विद्यमान ये साक्षात ईश काया
ज्ञानोदय का मन में उद्दीपन हैं करते
ऐसे परम पूज्य गुरुजनों का मेरे काव्य सतत प्रणाम

धर्म, निष्ठा, और कर्त्तव्य मान को सर्वोपरि कार्य बताया,
यथार्थ ज्ञान शिक्षा उन्होंने दर्शन भी कराया
मुझ जैसे ज्ञानहीन को सार्थक शिक्षा का पाठ पढ़ाया,
ज्योतिष मती है इनकी अलौकिक काया,
ऐसे राह गुरुजनों ने है दिखलाया..

अतुल्य छटा के है ये नायक,
सम्पूर्ण यथोचित विकास है कराया,
व्यर्थ का पांडित्य है सांसारिक भोग विलास की माया
कैसे चुकाऊं उधार आपका,
नहीं दुनिया में ऐसी कोई दौलत पा पाया

ये नीघंटू शास्त्र कितना भी शब्दों में पिरो दिया जाए,
भावनाओं के उर कर खोल दिया जाए
मगर आपके निर्बाध प्रेम का,
कद्र ए एहसान कभी बयां ना कर पाए

तजस्सुस आभार का हम उन्मदिष्णु मन से पेश करते हैं,
अल्पज्ञ ही सही, नमाबार शीश नतमस्तक करते हैं
आपकी अनुकम्पा से हर्षतीरेक रहे हम,
कामना हृदय के प्रगाढ़ भाव से करते हैं

कैसे कहे शुक्रिया निः शब्द हैं,
बस कहूंगी यही
ये सिरजना इतनी काबिल नहीं,
जो आपके अमोलक आदर्श को दर्शा पाए..❤️❤️

शिक्षक साक्ष्य यजमान दिव्य लोक की माया, जग में विद्यमान ये साक्षात ईश काया ज्ञानोदय का मन में उद्दीपन हैं करते ऐसे परम पूज्य गुरुजनों का मेरे काव्य सतत प्रणाम धर्म, निष्ठा, और कर्त्तव्य मान को सर्वोपरि कार्य बताया, यथार्थ ज्ञान शिक्षा उन्होंने दर्शन भी कराया मुझ जैसे ज्ञानहीन को सार्थक शिक्षा का पाठ पढ़ाया, ज्योतिष मती है इनकी अलौकिक काया, ऐसे राह गुरुजनों ने है दिखलाया.. अतुल्य छटा के है ये नायक, सम्पूर्ण यथोचित विकास है कराया, व्यर्थ का पांडित्य है सांसारिक भोग विलास की माया कैसे चुकाऊं उधार आपका, नहीं दुनिया में ऐसी कोई दौलत पा पाया ये नीघंटू शास्त्र कितना भी शब्दों में पिरो दिया जाए, भावनाओं के उर कर खोल दिया जाए मगर आपके निर्बाध प्रेम का, कद्र ए एहसान कभी बयां ना कर पाए तजस्सुस आभार का हम उन्मदिष्णु मन से पेश करते हैं, अल्पज्ञ ही सही, नमाबार शीश नतमस्तक करते हैं आपकी अनुकम्पा से हर्षतीरेक रहे हम, कामना हृदय के प्रगाढ़ भाव से करते हैं कैसे कहे शुक्रिया निः शब्द हैं, बस कहूंगी यही ये सिरजना इतनी काबिल नहीं, जो आपके अमोलक आदर्श को दर्शा पाए..❤️❤️

शिक्षक दिवस

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