अभी अभी तो गुज़रा हे वो कल जिसने जख्म़ हजार दिये है | हिंदी Shayari

"अभी अभी तो गुज़रा हे वो कल जिसने जख्म़ हजार दिये हैं और वो फिर से इश्क का पाठ पढाने आ गए हसकर बोला ये दिल , बडा बेरहम हे जमा़ना सताये हुए को फिर से सताने आ गए ©Sohit Saini"

 अभी अभी तो गुज़रा हे वो कल जिसने जख्म़ हजार दिये हैं
और वो फिर से इश्क का पाठ पढाने आ गए
हसकर बोला ये दिल , बडा बेरहम हे जमा़ना 
सताये हुए को फिर से सताने आ गए

©Sohit Saini

अभी अभी तो गुज़रा हे वो कल जिसने जख्म़ हजार दिये हैं और वो फिर से इश्क का पाठ पढाने आ गए हसकर बोला ये दिल , बडा बेरहम हे जमा़ना सताये हुए को फिर से सताने आ गए ©Sohit Saini

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