"बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी !
मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!"
मेरी तमन्ना न थी तेरे बगैर रहने
की.... लेकिन
मज़बूर को, मज़बूर की, मजबूरिया.. मज़बूर कर
देती है..!!!!
सिर्फ इतना सा बता दो हमें,
के किस तरह से पा लें तुम्हें..!
©sushil kumar
love you zindagi