बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी ! मैंन | हिंदी Shayari

""बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी ! मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!" मेरी तमन्ना न थी तेरे बगैर रहने की.... लेकिन मज़बूर को, मज़बूर की, मजबूरिया.. मज़बूर कर देती है..!!!! सिर्फ इतना सा बता दो हमें, के किस तरह से पा लें तुम्हें..! ©sushil kumar"

 "बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी !

मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!"

मेरी तमन्ना न थी तेरे बगैर रहने

की.... लेकिन

मज़बूर को, मज़बूर की, मजबूरिया.. मज़बूर कर

देती है..!!!!

सिर्फ इतना सा बता दो हमें,

के किस तरह से पा लें तुम्हें..!

©sushil kumar

"बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी ! मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!" मेरी तमन्ना न थी तेरे बगैर रहने की.... लेकिन मज़बूर को, मज़बूर की, मजबूरिया.. मज़बूर कर देती है..!!!! सिर्फ इतना सा बता दो हमें, के किस तरह से पा लें तुम्हें..! ©sushil kumar

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