जैसे कुशल एक शिल्पकार, नव मूरत गढ़ता जाता है, एक ब | हिंदी शायरी

"जैसे कुशल एक शिल्पकार, नव मूरत गढ़ता जाता है, एक बीज अंकुरित हो जैसे, दिन दिन वो बढ़ता जाता है। मुझको प्रत्येक क्षण और कण में मात्र छवि तुम्हारी दिखती है, नही छुपता प्रेम छुपाने से दिनकर सा चढ़ता जाता है। . . . ©Anuj Dubey"

 जैसे कुशल एक शिल्पकार,
नव मूरत गढ़ता जाता है,
एक बीज अंकुरित हो जैसे,
दिन दिन वो बढ़ता जाता है।
मुझको प्रत्येक क्षण और कण में
मात्र छवि तुम्हारी दिखती है,
नही छुपता प्रेम छुपाने से
दिनकर सा चढ़ता जाता है।
.
.
.

©Anuj Dubey

जैसे कुशल एक शिल्पकार, नव मूरत गढ़ता जाता है, एक बीज अंकुरित हो जैसे, दिन दिन वो बढ़ता जाता है। मुझको प्रत्येक क्षण और कण में मात्र छवि तुम्हारी दिखती है, नही छुपता प्रेम छुपाने से दिनकर सा चढ़ता जाता है। . . . ©Anuj Dubey

#ishq

People who shared love close

More like this

Trending Topic