दिख तो रहा सारा जहान है
क्षितिज तक जा रही नजरे हैं बिना रूकावट
चाहें तो उड़ान हम जिभर भर सकते है
लेकिन बिना रुकावटों के मंजिल पाने में
वो सकून भी तो नहीं है
जो सुकून रुकावटों को तोड़ते हुए, लड़ते हुए,
जुझते हुए संघर्ष के साथ पाने में हैं l
©Shikha Srivastava
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