हम तो निकले थे लेकर नई ख्वाहिशें, किन्तु होने ल | हिंदी शायरी

"हम तो निकले थे लेकर नई ख्वाहिशें, किन्तु होने लगी नफरती बारिशें। हमने सोचा मुलाकात रंग लायेगी, उनके दिल में हैं अब भी बही रंजिशें।। ©Mukesh Meet"

 हम तो निकले थे लेकर नई ख्वाहिशें,
किन्तु  होने   लगी  नफरती  बारिशें।
हमने  सोचा  मुलाकात  रंग  लायेगी,
उनके दिल में हैं अब भी बही रंजिशें।।

©Mukesh Meet

हम तो निकले थे लेकर नई ख्वाहिशें, किन्तु होने लगी नफरती बारिशें। हमने सोचा मुलाकात रंग लायेगी, उनके दिल में हैं अब भी बही रंजिशें।। ©Mukesh Meet

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