आज हम तेरे शहर से होके आए,
गुजर गए हैं जो लम्हें
उनको फिर से जीके आए,
चंन्द सिक्के तेरी यादों के
फिर जेब में भर लाए हैं
एक दास्तान लिखनी थी
तेरी मेरी,
हम मोहब्बत पन्ने
तेरे शहर भूल आय,
अब
कैसे शुरू करूँ सारी बातें
फिर से,
ये कहानी
कोई किताब तो नहीं,
अब हर दफा तुम्ही आओ
मेरे करीब
ऐसा भी लिखा
कहीं रिवाज़ नहीं,
अब!
इश्क मुझसे हो जाए तुम्हे
तो कह देना,
मैं तुम्हें मना कर दूँ
ऐसा बहाना नहीं।
तुम देखना
मोहब्बत भरी निगाहों से,
में भी देखूँगा
फिर नजरे चुराना नहीं।
ये इश्क है,
इस लफ्जो से छुपाना नही,
अच्छा सुनो!
मुक़ाबला मोहब्बत का
तुम जीत लेना,
मै तुमसे इश्क में
कभी हारा नही,
ये जो जुल्फे तुम सवारती हो,
जुल्फ़ों साया इश्क का हटाना नहीं।
अच्छा सुनो!
मेरे ख़्वाब तस्वीर तुम्हारी बुनता है,
जरा उन्हें हक़ीक़त कर दो,
ख़्वाब तोड़के अचानक
बस जगाना नहीं।
इश्क मुझसे हो जाए तो छुपाना नहीं,
में भी देखूँगा नज़रें फिर चुराना नहीं।
©ehsaaz
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