भक्ति मार्ग में गुरु का महत्व कबीर परमेश्वर कहते

"भक्ति मार्ग में गुरु का महत्व कबीर परमेश्वर कहते हैं पूर्ण गुरु के वचन की शक्ति से भक्ति होती है पूर्ण गुरु से दीक्षा लेकर भक्ति करना लाभदायक है बिना गुरु के भक्ति करने से कोई लाभ नहीं होता। परमात्मा का विधान है जो #सूक्ष्म_वेद में कहा है कि गुरु बिना भक्ति करना व्यर्थ प्रयत्न रहेगा। "कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान । गुरु बिन दोनों निष्फल है पूछो वेद पुराण ॥ जो व्यक्ति गुरु धारण किए बिना यदि नाम जाप की माला फेरते हैं और दान देते हैं तो वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आपको संदेह हो तो अपने वेदों तथा पुराणों में प्रमाण देखें। "राम कृष्ण से कौन बड़ा उन्हों भी गुरु कीन्ह । तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन ॥" कबीर परमेश्वर हमें समझाना चाहते हैं कि आप श्री राम तथा श्री कृष्ण जी से किसी को बड़ा अर्थात समर्थ नहीं मानते हो वे तीन लोक के मालिक थे उन्होंने भी गुरु बनाकर अपनी भक्ति की, मानव जीवन सार्थक किया। इससे हमें सहज में ज्ञान हो जाना चाहिए कि यदि हम गुरु के बिना भक्ति करते हैं तो कितना सही है ? अर्थात व्यर्थ है l "कबीर पीछे लाग्या जाऊँ था, मैं लोकवेद के साथ, रास्ते में सतगुरु मिले, दीपक दीन्हा हाथ ॥ गुरु के बिना देखा-देखी, कही-सुनी भक्ति को लोकवेद के अनुसार भक्ति कहते हैं। लोकवेद का अर्थ है किसी क्षेत्र में प्रचलित भक्ति का ज्ञान जो तत्वज्ञान के विपरीत होता है।भावार्थ है कि साधक लोकवेद अर्थात दंतकथा के आधार से भक्ति कर रहा है। शास्त्र विरुद्ध साधना के मार्ग पर चल रहा है। रास्ते में अर्थात भक्ति मार्ग में एक दिन तत्वदर्शी संत मिल गए उन्होंने शास्त्र विधि अनुसार शास्त्र प्रमाणित साधना रुपी दीपक दे दिया जिससे जीवन नष्ट होने से बच गया । "कबीर गुरु बिन काहु ना पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छड़े मूढ़ किसाना, कबीर गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे ना सारे रहे अज्ञानी ॥" गुरु बिना सत्य ज्ञान नहीं होता है जैसे वर्तमान में सर्व समाज जो साधना कर रहा है वह गीता, वेदों में वर्णित ना होने से शास्त्र विरुद्ध साधना है, जो व्यर्थ है। इसलिए गुरु जी से वेद, शास्त्रों का ज्ञान पढ़ना चाहिए जिससे सत्य भक्ति की शास्त्र अनुकूल साधना करके मानव जीवन धन्य हो जाए। यथार्थ कबीर ज्ञान जानने के लिए Satlok Ashram YouTube channel पर visit करें। #KabirPrakatDiwas ©True path"

 भक्ति मार्ग में गुरु का महत्व

कबीर परमेश्वर कहते हैं पूर्ण गुरु के वचन की शक्ति से भक्ति होती है पूर्ण गुरु से दीक्षा लेकर भक्ति करना लाभदायक है बिना गुरु के भक्ति करने से कोई लाभ नहीं होता। परमात्मा का विधान है जो #सूक्ष्म_वेद में कहा है कि गुरु बिना भक्ति करना व्यर्थ प्रयत्न रहेगा।

"कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान ।
गुरु बिन दोनों निष्फल है पूछो वेद पुराण ॥

जो व्यक्ति गुरु धारण किए बिना यदि नाम जाप की माला फेरते हैं और दान देते हैं तो वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आपको संदेह हो तो अपने वेदों तथा पुराणों में प्रमाण देखें।

"राम कृष्ण से कौन बड़ा उन्हों भी गुरु कीन्ह । 
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन ॥"

कबीर परमेश्वर हमें समझाना चाहते हैं कि आप श्री राम तथा श्री कृष्ण जी से किसी को बड़ा अर्थात समर्थ नहीं मानते हो वे तीन लोक के मालिक थे उन्होंने भी गुरु बनाकर अपनी भक्ति की, मानव जीवन सार्थक किया। इससे हमें सहज में ज्ञान हो जाना चाहिए कि यदि हम गुरु के बिना भक्ति करते हैं तो कितना सही है ? अर्थात व्यर्थ है l

"कबीर पीछे लाग्या जाऊँ था, मैं लोकवेद के साथ, रास्ते में सतगुरु मिले, दीपक दीन्हा हाथ ॥

गुरु के बिना देखा-देखी, कही-सुनी भक्ति को लोकवेद के अनुसार भक्ति कहते हैं। लोकवेद का अर्थ है किसी क्षेत्र में प्रचलित भक्ति का ज्ञान जो तत्वज्ञान के विपरीत होता है।भावार्थ है कि साधक लोकवेद अर्थात दंतकथा के आधार से भक्ति कर रहा है। शास्त्र विरुद्ध साधना के मार्ग पर चल रहा है। रास्ते में अर्थात भक्ति मार्ग में एक दिन तत्वदर्शी संत मिल गए उन्होंने शास्त्र विधि अनुसार शास्त्र प्रमाणित साधना रुपी दीपक दे दिया जिससे जीवन नष्ट होने से बच गया ।

"कबीर गुरु बिन काहु ना पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छड़े मूढ़ किसाना, 
कबीर गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे ना सारे रहे अज्ञानी ॥"

गुरु बिना सत्य ज्ञान नहीं होता है जैसे वर्तमान में सर्व समाज जो साधना कर रहा है वह गीता, वेदों में वर्णित ना होने से शास्त्र विरुद्ध साधना है, जो व्यर्थ है। इसलिए गुरु जी से वेद, शास्त्रों का ज्ञान पढ़ना चाहिए जिससे सत्य भक्ति की शास्त्र अनुकूल साधना करके मानव जीवन धन्य हो जाए।

यथार्थ कबीर ज्ञान जानने के लिए Satlok Ashram YouTube channel पर visit करें।



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भक्ति मार्ग में गुरु का महत्व कबीर परमेश्वर कहते हैं पूर्ण गुरु के वचन की शक्ति से भक्ति होती है पूर्ण गुरु से दीक्षा लेकर भक्ति करना लाभदायक है बिना गुरु के भक्ति करने से कोई लाभ नहीं होता। परमात्मा का विधान है जो #सूक्ष्म_वेद में कहा है कि गुरु बिना भक्ति करना व्यर्थ प्रयत्न रहेगा। "कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान । गुरु बिन दोनों निष्फल है पूछो वेद पुराण ॥ जो व्यक्ति गुरु धारण किए बिना यदि नाम जाप की माला फेरते हैं और दान देते हैं तो वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आपको संदेह हो तो अपने वेदों तथा पुराणों में प्रमाण देखें। "राम कृष्ण से कौन बड़ा उन्हों भी गुरु कीन्ह । तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन ॥" कबीर परमेश्वर हमें समझाना चाहते हैं कि आप श्री राम तथा श्री कृष्ण जी से किसी को बड़ा अर्थात समर्थ नहीं मानते हो वे तीन लोक के मालिक थे उन्होंने भी गुरु बनाकर अपनी भक्ति की, मानव जीवन सार्थक किया। इससे हमें सहज में ज्ञान हो जाना चाहिए कि यदि हम गुरु के बिना भक्ति करते हैं तो कितना सही है ? अर्थात व्यर्थ है l "कबीर पीछे लाग्या जाऊँ था, मैं लोकवेद के साथ, रास्ते में सतगुरु मिले, दीपक दीन्हा हाथ ॥ गुरु के बिना देखा-देखी, कही-सुनी भक्ति को लोकवेद के अनुसार भक्ति कहते हैं। लोकवेद का अर्थ है किसी क्षेत्र में प्रचलित भक्ति का ज्ञान जो तत्वज्ञान के विपरीत होता है।भावार्थ है कि साधक लोकवेद अर्थात दंतकथा के आधार से भक्ति कर रहा है। शास्त्र विरुद्ध साधना के मार्ग पर चल रहा है। रास्ते में अर्थात भक्ति मार्ग में एक दिन तत्वदर्शी संत मिल गए उन्होंने शास्त्र विधि अनुसार शास्त्र प्रमाणित साधना रुपी दीपक दे दिया जिससे जीवन नष्ट होने से बच गया । "कबीर गुरु बिन काहु ना पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छड़े मूढ़ किसाना, कबीर गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे ना सारे रहे अज्ञानी ॥" गुरु बिना सत्य ज्ञान नहीं होता है जैसे वर्तमान में सर्व समाज जो साधना कर रहा है वह गीता, वेदों में वर्णित ना होने से शास्त्र विरुद्ध साधना है, जो व्यर्थ है। इसलिए गुरु जी से वेद, शास्त्रों का ज्ञान पढ़ना चाहिए जिससे सत्य भक्ति की शास्त्र अनुकूल साधना करके मानव जीवन धन्य हो जाए। यथार्थ कबीर ज्ञान जानने के लिए Satlok Ashram YouTube channel पर visit करें। #KabirPrakatDiwas ©True path

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