धड़धड़ाती हुई रेल सी ज़िन्दगी, मौज़ में क | हिंदी शायरी

"धड़धड़ाती हुई रेल सी ज़िन्दगी, मौज़ में कट रही, खेल सी ज़िन्दगी, पास जब से यहाँ, आप हम हो गये, लगती' दो नदियों' के मेल सी ज़िन्दगी। -अभिषेक श्रीवास्तव "शिवा" ©शिवाजी Ke अल्फाज़"

 धड़धड़ाती   हुई   रेल   सी   ज़िन्दगी,
मौज़  में कट  रही, खेल  सी ज़िन्दगी,
पास  जब  से  यहाँ, आप हम हो गये,
लगती' दो नदियों' के मेल सी ज़िन्दगी।
-अभिषेक श्रीवास्तव "शिवा"

©शिवाजी Ke अल्फाज़

धड़धड़ाती हुई रेल सी ज़िन्दगी, मौज़ में कट रही, खेल सी ज़िन्दगी, पास जब से यहाँ, आप हम हो गये, लगती' दो नदियों' के मेल सी ज़िन्दगी। -अभिषेक श्रीवास्तव "शिवा" ©शिवाजी Ke अल्फाज़

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