White ' न तुमसे मिलने की खुशी...
ना है बिछड़ने का कोई गम...
तुम्हारे ही जैसे हो गये हैं....
अब मेरे भी जज्बात सनम।
जिंदगी बाहें फैलाये मुंतजिर थी मेरी....
मैं गाफिल थी तुम्हारी फ़रेबी मुहब्बत में....
ख़ुद के इश्क़ में गिरफ्तार हुई मैं...
तोड़ दिये मैंने परनिर्भरता के सारे भरम।
स्वतंत्र हूँ मैं....
मुक्त हूँ तमाम जानलेवा बंदिशों से....
आत्मनिर्भर हूँ मैं आश्रित नहीं....
शुक्रिया तुम्हारी बेवफाई का
उस सम्बन्ध का टूटना लाजिमी है....
जिसके आधार में हो जुल्मोसितम।
प्रेम वासना नहीं उपासना है...
इश्क़ इबादत है आराधना है....
तिजारत करने वाला क्या समझेंगे...
प्रेम है अनमोल रतन।
दो पल का किस्सा नहीं...
जन्मोजन्म का रिश्ता है....
जिस्म बेशक ख़ाक हो जाये...
रूह का साथ निभाती है मुहब्बत जानम।
(स्वरचित: अनामिका अर्श)
©अर्श
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