बचपन और कागज़ की कश्ती शायद कही खो गया है बचपन मेर | हिंदी कविता
"बचपन और कागज़ की कश्ती शायद कही खो गया है बचपन मेरा
ढूंढ़ने से भी ना मिलता मुझे,
भूल गया कि भागदौड़ भरी जिम्मेदारियों वाली ज़िन्दगी में बचपन जीने का समय कहा मिलता मुझे"
बचपन और कागज़ की कश्ती शायद कही खो गया है बचपन मेरा
ढूंढ़ने से भी ना मिलता मुझे,
भूल गया कि भागदौड़ भरी जिम्मेदारियों वाली ज़िन्दगी में बचपन जीने का समय कहा मिलता मुझे