"हम जो ये अपनी उम्र गंवा के बैठे हैं
थोड़ी छाँव थोड़ी धूप कमा के बैठे हैं
वो जो जज़्बातों की क़दर करते हैं
कोई बताए हमें भी,वो कहाँ पे बैठे हैं
सोच ज़मीन से भी नीचे जा पहुंची है,
और दिमाग लोगों के आसमां पे बैठे हैं
एक दिन आंसुओं में ही डूब जाते हैं
वो कुछ लोग जो दिल लगा के बैठे हैं"