अपने सामान को बाँधे हुए इस सोच में हूँ जो कहीं के | हिंदी Shayari

"अपने सामान को बाँधे हुए इस सोच में हूँ जो कहीं के नहीं रहते वो कहाँ जाते है। जव्वाद शेख ©Anant Nag Chandan"

 अपने सामान को बाँधे हुए इस सोच में हूँ 
जो कहीं के नहीं रहते वो कहाँ जाते है।
जव्वाद शेख

©Anant Nag Chandan

अपने सामान को बाँधे हुए इस सोच में हूँ जो कहीं के नहीं रहते वो कहाँ जाते है। जव्वाद शेख ©Anant Nag Chandan

अपने सामान को बाँधे हुए इस सोच में हूँ
जो कहीं के नहीं रहते वो कहाँ जाते है।
जव्वाद शेख

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