हर रोज मैं तुम क्या लिखू वो बीती शाम लिखूं या तेरे | हिंदी शायरी

"हर रोज मैं तुम क्या लिखू वो बीती शाम लिखूं या तेरे चेहरे का फिर गुनगान लिखूं तेरे आंखों के गहराई का वो राज लिखूं या फिर से तेरे अनेक अंदाज लिखूं कुछ तो बात है तेरी अदा में वरना यु ही लोग फ़िदा ना होता दिन के ढलने के बाद हर शाम तेरे साथ बैठने का इंतजार यु ही बेवजह ना होता सफेद पड़े कागज में अब मैं क्या रंगीन लिखूं अब तुम ही बताओ मैं तुम पर क्या लिखूं।। ©bebak_poetry"

 हर रोज मैं तुम क्या लिखू
वो बीती शाम लिखूं या तेरे चेहरे 
का फिर गुनगान लिखूं
तेरे आंखों के गहराई का वो राज लिखूं
या फिर से तेरे अनेक अंदाज लिखूं
कुछ तो बात है तेरी अदा में वरना
यु ही लोग फ़िदा ना होता
दिन के ढलने के बाद हर शाम तेरे साथ बैठने 
का इंतजार यु ही बेवजह ना होता
सफेद पड़े कागज में अब मैं क्या रंगीन लिखूं
अब तुम ही बताओ मैं तुम पर क्या लिखूं।।

©bebak_poetry

हर रोज मैं तुम क्या लिखू वो बीती शाम लिखूं या तेरे चेहरे का फिर गुनगान लिखूं तेरे आंखों के गहराई का वो राज लिखूं या फिर से तेरे अनेक अंदाज लिखूं कुछ तो बात है तेरी अदा में वरना यु ही लोग फ़िदा ना होता दिन के ढलने के बाद हर शाम तेरे साथ बैठने का इंतजार यु ही बेवजह ना होता सफेद पड़े कागज में अब मैं क्या रंगीन लिखूं अब तुम ही बताओ मैं तुम पर क्या लिखूं।। ©bebak_poetry

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