प्रेम में पागल बंदा जिस्म का भुखा कैसे होगा...
पिंजरे में कैद परिंदे का पर भला कैसा होगा...
अपनी मंज़िल की तलाश करता पथिक का प्यास कैसा होगा...
रेगिस्तान की ज़मीन पर बूंदो का एहसास कैसा होगा..
करोगे नफरत ज़माने से तो परिचय तुम्हारा कैसा होगा...
जब उजड़ गये महल अमीरो के फिर किराये का मकान कैसा होगा...