बाबा मुझको आप - यूँ अकेली ना किजिए ज़ुबाँ से अपन | हिंदी शायरी

"बाबा मुझको आप - यूँ अकेली ना किजिए ज़ुबाँ से अपनी इस गँगा को मैली ना किजिए आप तो मुझे बचपन से जानते हो बाबा कितनी सरल हूँ प्लीज मुझे पहेली ना कीजिए । ©Vishnu Kamaal soni"

 बाबा  मुझको आप - यूँ अकेली  ना  किजिए
ज़ुबाँ से अपनी इस गँगा को मैली ना  किजिए 
आप  तो  मुझे  बचपन  से  जानते  हो  बाबा
कितनी सरल हूँ प्लीज मुझे पहेली ना कीजिए ।

©Vishnu Kamaal soni

बाबा मुझको आप - यूँ अकेली ना किजिए ज़ुबाँ से अपनी इस गँगा को मैली ना किजिए आप तो मुझे बचपन से जानते हो बाबा कितनी सरल हूँ प्लीज मुझे पहेली ना कीजिए । ©Vishnu Kamaal soni

बाबा मुझको आप - यूँ अकेली ना किजिए
ज़ुबाँ से अपनी इस गँगा को मैली ना किजिए
आप तो मुझे बचपन से जानते हो बाबा
कितनी सरल हूँ प्लीज मुझे पहेली ना कीजिए ।

स्वरचित व मौलिक
©विष्णु कमाल ✍️

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