मैं गीत लिखुं भी, तो क्या लिखुं तुम गुन गुनाओगे त

"मैं गीत लिखुं भी, तो क्या लिखुं तुम गुन गुनाओगे तो बोलो, जैसे बहाने आते तुझको, न आने के, कभी तो आओगे , तो बोलो, चांदनी रात अब झूठी लगती है, आशाओं के दीप जलाओगे, तो बोलो वक्त बिताती मेरे साथ, तो मेरी घड़ी भी है, तुम साथ मेरे, उम्र बिताओगे तो बोलो. ©Piyush Nishchal"

 मैं गीत लिखुं भी, तो क्या लिखुं 
तुम गुन गुनाओगे तो बोलो, 

जैसे बहाने आते तुझको, न आने के,
कभी तो आओगे , तो बोलो, 

चांदनी रात अब झूठी लगती है,
आशाओं के दीप जलाओगे, तो बोलो 

वक्त बिताती मेरे साथ, तो मेरी घड़ी भी है,
तुम साथ मेरे, उम्र बिताओगे तो बोलो.

©Piyush Nishchal

मैं गीत लिखुं भी, तो क्या लिखुं तुम गुन गुनाओगे तो बोलो, जैसे बहाने आते तुझको, न आने के, कभी तो आओगे , तो बोलो, चांदनी रात अब झूठी लगती है, आशाओं के दीप जलाओगे, तो बोलो वक्त बिताती मेरे साथ, तो मेरी घड़ी भी है, तुम साथ मेरे, उम्र बिताओगे तो बोलो. ©Piyush Nishchal

#Time

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