नज़्म- ज़रा ठहर जा गुज़रते लम्हें गुज़र ना जाए | हिंदी Shayari Video

नज़्म- ज़रा ठहर जा

गुज़रते लम्हें गुज़र ना जाएं, अभी समय है ज़रा ठहर जा
छिपा के रख़ लूँ या हक़ से कह दूँ, तू मेरी जां है ज़रा ठहर जा

कहीं कमी है कहीं ख़लिश है, तड़प कहीं तो कहीं तपिश है
बहुत है जो कुछ बचा हुआ सा, उसी की ख़ातिर ज़रा ठहर जा

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