White विधा :-गीत / लावणी छन्द विषय | हिंदी कविता

"White विधा :-गीत / लावणी छन्द विषय :- सावन आया बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपने बात लिखूँ ।। बह मत जाये अब यह काज़ल ... तब डालूँ विरवा में झूला , संग तुम्हारे जब झूलूँ । पाकर पास तुम्हें प्रियतम जब ,गदगद होकर मैं फूलूँ ।। अब करके याद तुम्हें निशिदिन, विरहन वाली रात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल.... कितने सावन बीत गये हैं , तुम ही अब बतलाओ तो । रहा अधूरा गीत मिलन का , आकर कभी सुनाओ तो ।। पाकर प्रेम अधूरा तेरा , मैं पगली सौगात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल... देहरी तुम्हारी बैठी मैं , तेरी बाट निहारूँ हूँ । घड़ी-घड़ी अब धड़के जियरा, रह रह तुझे पुकारूँ हूँ ।। आज अधूरी प्रेम कहानी , की वही मुलाकात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल .... बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपनी बात लिखूँ ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 White 
विधा         :-गीत / लावणी छन्द
विषय       :- सावन आया

बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ ।
सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपने बात लिखूँ ।।
बह मत जाये अब यह काज़ल ...

तब डालूँ विरवा में झूला , संग तुम्हारे जब झूलूँ ।
पाकर पास तुम्हें प्रियतम जब ,गदगद होकर मैं फूलूँ ।।
अब करके याद तुम्हें निशिदिन, विरहन वाली रात लिखूँ ।
बह मत जाये अब यह काज़ल....

कितने सावन बीत गये हैं , तुम ही अब बतलाओ तो ।
रहा अधूरा गीत मिलन का , आकर कभी सुनाओ तो ।।
पाकर प्रेम अधूरा तेरा , मैं पगली सौगात लिखूँ ।
बह मत जाये अब यह काज़ल...

देहरी तुम्हारी बैठी मैं , तेरी बाट निहारूँ हूँ ।
घड़ी-घड़ी अब धड़के जियरा, रह रह तुझे पुकारूँ हूँ ।।
आज अधूरी प्रेम कहानी , की वही मुलाकात लिखूँ ।
बह मत जाये अब यह काज़ल ....

बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ ।
सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपनी बात लिखूँ ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

White विधा :-गीत / लावणी छन्द विषय :- सावन आया बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपने बात लिखूँ ।। बह मत जाये अब यह काज़ल ... तब डालूँ विरवा में झूला , संग तुम्हारे जब झूलूँ । पाकर पास तुम्हें प्रियतम जब ,गदगद होकर मैं फूलूँ ।। अब करके याद तुम्हें निशिदिन, विरहन वाली रात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल.... कितने सावन बीत गये हैं , तुम ही अब बतलाओ तो । रहा अधूरा गीत मिलन का , आकर कभी सुनाओ तो ।। पाकर प्रेम अधूरा तेरा , मैं पगली सौगात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल... देहरी तुम्हारी बैठी मैं , तेरी बाट निहारूँ हूँ । घड़ी-घड़ी अब धड़के जियरा, रह रह तुझे पुकारूँ हूँ ।। आज अधूरी प्रेम कहानी , की वही मुलाकात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल .... बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपनी बात लिखूँ ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR


विधा :-गीत / लावणी छन्द
विषय :- सावन आया

बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ ।
सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपने बात लिखूँ ।।
बह मत जाये अब यह काज़ल ...

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