नज़्म - इकलौता मज़हब इश्क़ ही है बस इकलौता मज़हब जहान | हिंदी Shayari Vide

नज़्म - इकलौता मज़हब

इश्क़ ही है बस
इकलौता मज़हब जहान में
ये महदूद नहीं
कहीं सरहदों में
ये बस्ता नहीं
किसी टूटे हुए आसमान में

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