ग़ज़ल
असरदार जो निज किरदार नहीं कर सकते।
वे अपने सपने साकार नहीं कर सकते।
उड़ना छोड़ गगन में घरती पर आ जाओ,
वरना मुझसे आँखे चार नहीं कर सकते।
अपने दिल से मिटा तुम्हारी दूँ यादों को,
इतना भी मुझको लाचार नहीं कर सकते।
हसरत कभी जीत की नहीं पालना दिल में,
अगर पराजय को स्वीकार नहीं कर सकते।
उस माँझी पर रहा नहीं विश्वास हमें क्यो?
जिसके बिना पार मझधार नहीं कर सकते।
बीमारी से रिश्तेदारी हो जाएगी,
अगर अम्ल को तन के क्षार नहीं कर सकते।
मानवता को जिंदा रखने को हम मानव?
क्या नफरत का कम आकार नहीं कर सकते?
©मनोज मानव
#girlfriendproposeday *...shree...* Rakhee ki kalam se अmit कोठारी "राही" भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Gautam