Maa फल थो हमें पूरा मिलता था घर में
पर हम इन्सा होते हुए भी बटगये
लालज की इस दुनिया में
देखो रिश्ते कैसे मिटगये
नश्वर सी इस दुनिया में जाने
कैसे पिता का मंन डोलगया
नन्हे से बालक को देखो
कैसे किसी को सौंप दिया
पहला शब्द माँ का होता है
पर बालक माँ का शब्द भूलगया
माँ होते हुए भी , कैसे उससे माँ का आँचल छूटगया
लेखक
विजयलाल कागे
©vijaylal kage
BE WITH YOUR CHILD