"हमने कैद कर दिये ज़ज्बात ताक-ए-दिल।
मुमकिन है तो ईन्हें टटोल,मुमकिन है तो आके मिल।।"
रोज-ओ-शव इस तरह गुजारता है कोई।
अबद फुरकत के गीत गुनगुनाता है कोई।।
शल हकीकत बरहना है जमाने की पेशे नज़र।
फिर भी तशवीश यार की करता है कोई।।
वो नफ़स जो तेरे जलाल पर तशव्वुश।
एक भीख अज़मत की मांगता है कोई।।
©Geet Sangeet
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